"दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण,
चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहलबार ९.रेकबार १०.जुनने
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.होंड७.पुण्डीर८.कटैरिया९.स्वांगवंश १०.वैस
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर२.दीक्षित३.दायमा४.गौतम५.अनवार (राजा जनक के वंशज)६.विसेन७.करछुल८.हय९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला
चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा १७.रूसिया १८.चांदा१९.निकूम २०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा २४.बनकर.
क्षत्रिय जातियो की सूची
क्रमांक | नाम | गोत्र | वंश | स्थान और जिला |
---|---|---|---|---|
१. | सूर्यवंशी | भारद्वाज | सूर्य | बुलन्दशहर आगरा मेरठ अलीगढ |
२. | गहलोत | बैजवापेण | सूर्य | मथुरा कानपुर और पूर्वी जिले |
३. | सिसोदिया | बैजवापेड | सूर्य | महाराणा उदयपुर स्टेट |
४. | कछवाहा | मानव | सूर्य | महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य |
५. | राठोड | कश्यप | सूर्य | जोधपुर बीकानेर और पूर्व और मालवा |
६. | सोमवंशी | अत्रय | चन्द | प्रतापगढ और जिला हरदोई |
७. | यदुवंशी | अत्रय | चन्द | राजकरौली राजपूताने में |
८. | भाटी | अत्रय | जादौन | महारजा जैसलमेर राजपूताना |
९. | जाडेचा | अत्रय | यदुवंशी | महाराजा कच्छ भुज |
१०. | जादवा | अत्रय | जादौन | शाखा अवा. कोटला ऊमरगढ आगरा |
११. | तोमर | व्याघ्र | चन्द | पाटन के राव तंवरघार जिला ग्वालियर |
१२. | कटियार | व्याघ्र | तोंवर | धरमपुर का राज और हरदोई |
१३. | पालीवार | व्याघ्र | तोंवर | गोरखपुर |
१४. | परिहार | कौशल्य | अग्नि | इतिहास में जानना चाहिये |
१५. | तखी | कौशल्य | परिहार | पंजाब कांगडा जालंधर जम्मू में |
१६. | पंवार | वशिष्ठ | अग्नि | मालवा मेवाड धौलपुर पूर्व मे बलिया |
१७. | सोलंकी | भारद्वाज | अग्नि | राजपूताना मालवा सोरों जिला एटा |
१८. | चौहान | वत्स | अग्नि | राजपूताना पूर्व और सर्वत्र |
१९. | हाडा | वत्स | चौहान | कोटा बूंदी और हाडौती देश |
२०. | खींची | वत्स | चौहान | खींचीवाडा मालवा ग्वालियर |
२१. | भदौरिया | वत्स | चौहान | नौगंवां पारना आगरा इटावा गालियर |
२२. | देवडा | वत्स | चौहान | राजपूताना सिरोही राज |
२३. | शम्भरी | वत्स | चौहान | नीमराणा रानी का रायपुर पंजाब |
२४. | बच्छगोत्री | वत्स | चौहान | प्रतापगढ सुल्तानपुर |
२५. | राजकुमार | वत्स | चौहान | दियरा कुडवार फ़तेहपुर जिला |
२६. | पवैया | वत्स | चौहान | ग्वालियर |
२७. | गौर,गौड | भारद्वाज | सूर्य | शिवगढ रायबरेली कानपुर लखनऊ |
२८. | वैस | भारद्वाज | चन्द्र | उन्नाव रायबरेली मैनपुरी पूर्व में |
२९. | गेहरवार | कश्यप | सूर्य | माडा हरदोई उन्नाव बांदा पूर्व |
३०. | सेंगर | गौतम | ब्रह्मक्षत्रिय | जगम्बनपुर भरेह इटावा जालौन |
३१. | कनपुरिया | भारद्वाज | ब्रह्मक्षत्रिय | पूर्व में राजाअवध के जिलों में हैं |
३२. | बिसैन | वत्स | ब्रह्मक्षत्रिय | गोरखपुर गोंडा प्रतापगढ में हैं |
३३. | निकुम्भ | वशिष्ठ | सूर्य | गोरखपुर आजमगढ हरदोई जौनपुर |
३४. | सिरसेत | भारद्वाज | सूर्य | गाजीपुर बस्ती गोरखपुर |
३५. | कटहरिया | वशिष्ठ्याभारद्वाज, | सूर्य | बरेली बंदायूं मुरादाबाद शहाजहांपुर |
३६. | वाच्छिल | अत्रयवच्छिल | चन्द्र | मथुरा बुलन्दशहर शाहजहांपुर |
३७. | बढगूजर | वशिष्ठ | सूर्य | अनूपशहर एटा अलीगढ मैनपुरी मुरादाबाद हिसार गुडगांव जयपुर |
३८. | झाला | मरीच कश्यप | चन्द्र | धागधरा मेवाड झालावाड कोटा |
३९. | गौतम | गौतम | ब्रह्मक्षत्रिय | राजा अर्गल फ़तेहपुर |
४०. | रैकवार | भारद्वाज | सूर्य | बहरायच सीतापुर बाराबंकी |
४१. | करचुल हैहय | कृष्णात्रेय | चन्द्र | बलिया फ़ैजाबाद अवध |
४२. | चन्देल | चान्द्रायन | चन्द्रवंशी | गिद्धौर कानपुर फ़र्रुखाबाद बुन्देलखंड पंजाब गुजरात |
४३. | जनवार | कौशल्य | सोलंकी शाखा | बलरामपुर अवध के जिलों में |
४४. | बहरेलिया | भारद्वाज | वैस की गोद सिसोदिया | रायबरेली बाराबंकी |
४५. | दीत्तत | कश्यप | सूर्यवंश की शाखा | उन्नाव बस्ती प्रतापगढ जौनपुर रायबरेली बांदा |
४६. | सिलार | शौनिक | चन्द्र | सूरत राजपूतानी |
४७. | सिकरवार | भारद्वाज | बढगूजर | ग्वालियर आगरा और उत्तरप्रदेश में |
४८. | सुरवार | गर्ग | सूर्य | कठियावाड में |
४९. | सुर्वैया | वशिष्ठ | यदुवंश | काठियावाड |
५०. | मोरी | ब्रह्मगौतम | सूर्य | मथुरा आगरा धौलपुर |
५१. | टांक (तत्तक) | शौनिक | नागवंश | मैनपुरी और पंजाब |
५२. | गुप्त | गार्ग्य | चन्द्र | अब इस वंश का पता नही है |
५३. | कौशिक | कौशिक | चन्द्र | बलिया आजमगढ गोरखपुर |
५४. | भृगुवंशी | भार्गव | चन्द्र | वनारस बलिया आजमगढ गोरखपुर |
५५. | गर्गवंशी | गर्ग | ब्रह्मक्षत्रिय | नृसिंहपुर सुल्तानपुर |
५६. | पडियारिया, | देवल,सांकृतसाम | ब्रह्मक्षत्रिय | राजपूताना |
५७. | ननवग | कौशल्य | चन्द्र | जौनपुर जिला |
५८. | वनाफ़र | पाराशर,कश्यप | चन्द्र | बुन्देलखन्ड बांदा वनारस |
५९. | जैसवार | कश्यप | यदुवंशी | मिर्जापुर एटा मैनपुरी |
६०. | चौलवंश | भारद्वाज | सूर्य | दक्षिण मद्रास तमिलनाडु कर्नाटक में |
६१. | निमवंशी | कश्यप | सूर्य | संयुक्त प्रांत |
६२. | वैनवंशी | वैन्य | सोमवंशी | मिर्जापुर |
६३. | दाहिमा | गार्गेय | ब्रह्मक्षत्रिय | काठियावाड राजपूताना |
६४. | पुण्डीर | कपिल | ब्रह्मक्षत्रिय | पंजाब गुजरात रींवा यू.पी. |
६५. | तुलवा | आत्रेय | चन्द्र | राजाविजयनगर |
६६. | कटोच | कश्यप | भूमिवंश | राजानादौन कोटकांगडा |
६७. | चावडा,पंवार,चोहान,वर्तमान कुमावत | वशिष्ठ | पंवार की शाखा | मलवा रतलाम उज्जैन गुजरात मेवाड |
६८. | अहवन | वशिष्ठ | चावडा,कुमावत | खेरी हरदोई सीतापुर बारांबंकी |
६९. | डौडिया | वशिष्ठ | पंवार शाखा | बुलंदशहर मुरादाबाद बांदा मेवाड गल्वा पंजाब |
७०. | गोहिल | बैजबापेण | गहलोत शाखा | काठियावाड |
७१. | बुन्देला | कश्यप | गहरवारशाखा | बुन्देलखंड के रजवाडे |
७२. | काठी | कश्यप | गहरवारशाखा | काठियावाड झांसी बांदा |
७३. | जोहिया | पाराशर | चन्द्र | पंजाब देश मे |
७४. | गढावंशी | कांवायन | चन्द्र | गढावाडी के लिंगपट्टम में |
७५. | मौखरी | अत्रय | चन्द्र | प्राचीन राजवंश था |
७६. | लिच्छिवी | कश्यप | सूर्य | प्राचीन राजवंश था |
७७. | बाकाटक | विष्णुवर्धन | सूर्य | अब पता नहीं चलता है |
७८. | पाल | कश्यप | सूर्य | यह वंश सम्पूर्ण भारत में बिखर गया है |
७९. | सैन | अत्रय | ब्रह्मक्षत्रिय | यह वंश भी भारत में बिखर गया है |
८०. | कदम्ब | मान्डग्य | ब्रह्मक्षत्रिय | दक्षिण महाराष्ट्र मे हैं |
८१. | पोलच | भारद्वाज | ब्रह्मक्षत्रिय | दक्षिण में मराठा के पास में है |
८२. | बाणवंश | कश्यप | असुरवंश | श्री लंका और दक्षिण भारत में,कैन्या जावा में |
८३. | काकुतीय | भारद्वाज | चन्द्र,प्राचीन सूर्य था | अब पता नही मिलता है |
८४. | सुणग वंश | भारद्वाज | चन्द्र,पाचीन सूर्य था, | अब पता नही मिलता है |
८५. | दहिया | कश्यप | राठौड शाखा | मारवाड में जोधपुर |
८६. | जेठवा | कश्यप | हनुमानवंशी | राजधूमली काठियावाड |
८७. | मोहिल | वत्स | चौहान शाखा | महाराष्ट्र मे है |
८८. | बल्ला | भारद्वाज | सूर्य | काठियावाड मे मिलते हैं |
८९. | डाबी | वशिष्ठ | यदुवंश | राजस्थान |
९०. | खरवड | वशिष्ठ | यदुवंश | मेवाड उदयपुर |
९१. | सुकेत | भारद्वाज | गौड की शाखा | पंजाब में पहाडी राजा |
९२. | पांड्य | अत्रय | चन्द | अब इस वंश का पता नहीं |
९३. | पठानिया | पाराशर | वनाफ़रशाखा | पठानकोट राजा पंजाब |
९४. | बमटेला | शांडल्य | विसेन शाखा | हरदोई फ़र्रुखाबाद |
९५. | बारहगैया | वत्स | चौहान | गाजीपुर |
९६. | भैंसोलिया | वत्स | चौहान | भैंसोल गाग सुल्तानपुर |
९७. | चन्दोसिया | भारद्वाज | वैस | सुल्तानपुर |
९८. | चौपटखम्ब | कश्यप | ब्रह्मक्षत्रिय | जौनपुर |
९९. | धाकरे | भारद्वाज(भृगु) | ब्रह्मक्षत्रिय | आगरा मथुरा मैनपुरी इटावा हरदोई बुलन्दशहर |
१००. | धन्वस्त | यमदाग्नि | ब्रह्मक्षत्रिय | जौनपुर आजमगढ वनारस |
१०१. | धेकाहा | कश्यप | पंवार की शाखा | भोजपुर शाहाबाद |
१०२. | दोबर(दोनवर) | वत्स या कश्यप | ब्रह्मक्षत्रिय | गाजीपुर बलिया आजमगढ गोरखपुर |
१०३. | हरद्वार | भार्गव | चन्द्र शाखा | आजमगढ |
१०४. | जायस | कश्यप | राठौड की शाखा | रायबरेली मथुरा |
१०५. | जरोलिया | व्याघ्रपद | चन्द्र | बुलन्दशहर |
१०६. | जसावत | मानव्य | कछवाह शाखा | मथुरा आगरा |
१०७. | जोतियाना(भुटियाना) | मानव्य | कश्यप,कछवाह शाखा | मुजफ़्फ़रनगर मेरठ |
१०८. | घोडेवाहा | मानव्य | कछवाह शाखा | लुधियाना होशियारपुर जालन्धर |
१०९. | कछनिया | शान्डिल्य | ब्रह्मक्षत्रिय | अवध के जिलों में |
११०. | काकन | भृगु | ब्रह्मक्षत्रिय | गाजीपुर आजमगढ |
१११. | कासिब | कश्यप | कछवाह शाखा | शाहजहांपुर |
११२. | किनवार | कश्यप | सेंगर की शाखा | पूर्व बंगाल और बिहार में |
११३. | बरहिया | गौतम | सेंगर की शाखा | पूर्व बंगाल और बिहार |
११४. | लौतमिया | भारद्वाज | बढगूजर शाखा | बलिया गाजी पुर शाहाबाद |
११५. | मौनस | मानव्य | कछवाह शाखा | मिर्जापुर प्रयाग जौनपुर |
११६. | नगबक | मानव्य | कछवाह शाखा | जौनपुर आजमगढ मिर्जापुर |
११७. | पलवार | व्याघ्र | सोमवंशी शाखा | आजमगढ फ़ैजाबाद गोरखपुर |
११८. | रायजादे | पाराशर | चन्द्र की शाखा | पूर्व अवध में |
११९. | सिंहेल | कश्यप | सूर्य | आजमगढ परगना मोहम्दाबाद |
१२०. | तरकड | कश्यप | दीक्षित शाखा | आगरा मथुरा |
१२१. | तिसहिया | कौशल्य | परिहार | इलाहाबाद परगना हंडिया |
१२२. | तिरोता | कश्यप | तंवर की शाखा | आरा शाहाबाद भोजपुर |
१२३. | उदमतिया | वत्स | ब्रह्मक्षत्रिय | आजमगढ गोरखपुर |
१२४. | भाले | वशिष्ठ | पंवार | अलीगढ |
१२५. | भालेसुल्तान | भारद्वाज | वैस की शाखा | रायबरेली लखनऊ उन्नाव |
१२६. | जैवार | व्याघ्र | तंवर की शाखा | दतिया झांसी बुन्देलखंड |
१२७. | सरगैयां | व्याघ्र | सोमवंश | हमीरपुर बुन्देलखण्ड |
१२८. | किसनातिल | अत्रय | तोमरशाखा | दतिया बुन्देलखंड |
१२९. | टडैया | भारद्वाज | सोलंकीशाखा | झांसी ललितपुर बुन्देलखंड |
१३०. | खागर | अत्रय | यदुवंश शाखा | जालौन हमीरपुर झांसी |
१३१. | पिपरिया | भारद्वाज | गौडों की शाखा | बुन्देलखंड |
१३२. | सिरसवार | अत्रय | चन्द्र शाखा | बुन्देलखंड |
१३३. | खींचर | वत्स | चौहान शाखा | फ़तेहपुर में असौंथड राज्य |
१३४. | खाती | कश्यप | दीक्षित शाखा | बुन्देलखंड,राजस्थान में कम संख्या होने के कारण इन्हे बढई गिना जाने लगा |
१३५. | आहडिया | बैजवापेण | गहलोत | आजमगढ |
१३६. | उदावत | बैजवापेण | गहलोत | आजमगढ |
१३७. | उजैने | वशिष्ठ | पंवार | आरा डुमरिया |
१३८. | अमेठिया | भारद्वाज | गौड | अमेठी लखनऊ सीतापुर |
१३९. | दुर्गवंशी | कश्यप | दीक्षित | राजा जौनपुर राजाबाजार |
१४०. | बिलखरिया | कश्यप | दीक्षित | प्रतापगढ उमरी राजा |
१४१. | डोमरा | कश्यप | सूर्य | कश्मीर राज्य और बलिया |
१४२. | निर्वाण | वत्स | चौहान | राजपूताना (राजस्थान) |
१४३. | जाटू | व्याघ्र | तोमर | राजस्थान,हिसार पंजाब |
१४४. | नरौनी | मानव्य | कछवाहा | बलिया आरा |
१४५. | भनवग | भारद्वाज | कनपुरिया | जौनपुर |
१४६. | गिदवरिया | वशिष्ठ | पंवार | बिहार मुंगेर भागलपुर |
१४७. | रक्षेल | कश्यप | सूर्य | रीवा राज्य में बघेलखंड |
१४८. | कटारिया | भारद्वाज | सोलंकी | झांसी मालवा बुन्देलखंड |
१४९. | रजवार | वत्स | चौहान | पूर्व मे बुन्देलखंड |
१५०. | द्वार | व्याघ्र | तोमर | जालौन झांसी हमीरपुर |
१५१. | इन्दौरिया | व्याघ्र | तोमर | आगरा मथुरा बुलन्दशहर |
१५२. | छोकर | अत्रय | यदुवंश | अलीगढ मथुरा बुलन्दशहर |
१५३. | जांगडा | वत्स | चौहान | बुलन्दशहर पूर्व में झांसी |
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34 comments:
आपकी यह वंशावली अधूरी है अभी ..
जिस प्रकार अग्नि वंश के चौहान वंश की 24 अलग शाखाएं उसी प्रकार उसी प्रकार अग्निवंश के परमार वंश की 36 अलग गोत्र है सोढा परमार, हरोड परमार ,मकवाना, टॉक, झोरड़, झाला, उदाना, लूवाणा भाटी आदि जो कि सिंध से 700 गाड़ियां लेकर चित्तौड़ और वहां से मांडव पर उसके बाद 330 सौ गाड़ियां का ठिकाना गुजरात और 330 सौ गाड़ियों का ठिकाना मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है जो कि अब सैंधव के नाम से जाने जाते हैं. जिसमें कई गांव को 12 12 गांव की जागीरी प्राप्त है. इसके बारे में अधिक बताएं.
Jesa bhati ke nakh batavo
My father told me that we r mainpuri chauhan and we belong to karambar village of ballia district of U.P can u tell me something about chauhan rajput of ballia how they move from mainpuri to ballia
वार्ता योगदान उपलोड्स
राजपूत बेल्दार क्षत्रिय समाज छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर जिला के कुछ गाओं में निवास करते है सिरपुर स्थित सामाजिक राम मंदिर प्रधान कार्यालय है इस मंदिर से जुड़े हुए सामाजिक लोग ही इस समाज से ताल्लुक रखते है सामाजिक संख्या की दृष्टि से संख्या कम है पूर्वजों के द्वारा बताया गया है कि कुछ सैन्य टुकड़ी के रूप में आना हुआ था राजपूत बेल्दार क्षत्रियके बारे में न तो शासन प्रशासन को है और ना ही अन्य राजपूत समाज को को जानकारी है इस लिये यहाँ बताना जरुरी है (( बेल्दार लिखने का मतलब उन बेल्दारों से नही है जो पत्थर से सील लोढा और गधा पालने का काम करते है)) राजपूत बेल्दार क्षत्रिय समाज के लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि और गऊ माता पालते है जिन गाओं में निवास है सम्मान से देखा जाता है, इस समाज के पूर्वजों को 5 गांव मालगुजारी मिला था जिसमे एक गाँव बेल्दार सिवनी के नाम से है इस समाज के लोग प्रभु श्री राम को मानते है ढाल तलवार की पूजा करते है दूल्हा देव, महामाया माता इष्ट देव है ,दशहरा त्योहार पर रखिया फल में आकृति बनाकर इसकी पूजा करते है शादी ब्याह की रस्मे राजपूतो में अपनाई जाने वाली रस्मे है दहेज प्रथा पर प्रतिबंध है गोत्र कौशिक हाशूल आदि है महोदय जी राजपूत क्षत्रिय की सूची में राजपूत बेल्दार क्षत्रिय को भी जोड़ने का निवेदनहै हैकुछऔर जानकारी के लिए संपर्क करे और किशी को इस विषय मे कुछ जानकारी हो तो जरूर शेयर करेtoranthakur007@gmail.com whatsup no 9826165432
Apki jankari adhuri hai bais kshatriya suryavansh me aate hai or kanhvanshi yani kanhpuriya kshatriya chandravans me ye arjun k vansaj hai inke naam pr up ka sabse bda sahar kanpur hai inke raja kanhdev jo bhot pratapi the unke naam pr kanpur hai or inke vansaj aaj kanhpuriya bulay jate hai jo hastina pur ke patan se jhunshi aaye or waha se kanpur samet 17 riyasat jiti or wahi bas gye ye chandravans ki shakha hai kripya adhik jankari k liye raja kanhdev univercity sultanpur daal kr search krey or click krkr last me jakar pdf file download krkr dekh le jankari puri ushi me hai dhanyawad
आदरणीय आपकी इस प्रस्तुति में क्षत्रिय समाज की आधी अधूरी जानकारी दर्शाई गई है । इसमें रघुवंशी क्षत्रिय का कही पर उल्लेख नहीं किया गया है क्यों ?
Sir balotiya (bais) jo rajsthan m balotiya lagte h surya vanse ki shakha gotra bhardwaj ko add nhi kiya h or iski jankari bhi adhuri h plss add
nice
Hindu rawal rajput kis banas mei arth hai.
Vanshavali adhuri h abhi bhut se gotra add NH kiye h please add kro tki bki bhai log samaj k jod ske ram ram sbhi rajput bhaiyo ko 🙏🙏🙏
किस व्यक्ति ने इसे अपने मनोउपरांत लिखी है कृप्या सही करे क्योंकि
इसमें बघेलखण्ड एमपी रीवा का जिक्र नही है जोकि राजन की रियासत थी वहां के लोग बघेल क्षत्रिय है और कहे जाते है
ये कथन पूर्ण नही है
Purbiya vansh ki sampurn jankari bheje tikhana sahit

□कुँवर हरीसिहँ शिशोदिया- शिशोदा,मेवाड़(अखंड राजपुताना) की टिम4 JUNE 2019 AT 10:30
जी हुकूम
सही कहा और लिखा है आपने एवं टीम द्वारा महानुभाव
आपका आभार और अभिनन्दन हुकूम
किन्तु सिसोदिया शब्द नही होकर वह "शिशोदिया" है जो "शिश+दिया" अर्थात 'शिश/सर/मस्तक' का दान दिया,त्याग कर दिया,न्योछावर कर दिया इसीलिए ऐसा करने वाले स्वाभिमानी सूर्यवंशी गहलोत रजपुत क्षत्रिय वंशजों को शिशोदिया कहा जाता है और इनकी बहुलता पर इनके प्रथमांक राज्य को "शिशोदा" कहा गया है!!(राजधानी कुम्भलगढ/केलवाडा)

हुकुम सिंगेलिया गोत्र के बारे में गूगल पर जानकारी दी जाए ताकि यह गोत्र विलुप्त होने से बच सके इस गोत्र के लोगों की संख्या अब गिने चुने ही रह गई है अगर इस गोत्र के बारे में किसी को भी कोई जानकारी लेनी है ठाकुर बीएस चौहान द्वारा लिखित एक पुस्तक है जिसका नाम है एक हकीकत उससे प्राप्त कर सकते हैं जय मां भवानी जय जय राजपूताना
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□कुँवर हरीसिहँ शिशोदिया- शिशोदा,मेवाड़(अखंड राजपुताना) की टिम4 JUNE 2019 AT 09:59
माननीय और सम्माननीय महोदय हुकूम
आपके द्वारा प्रेषित कि गयी उपर लिखीत जानकारी हेतु आपका व आपकी संकलन प्रकाशन एडिटिंग प्रिंटिंग टीम का बहुत-बहुत आभार और अभिनन्दन है !!
अब इसमें मुख्य कथन सिसोदिया शब्द के बारे मे यह है कि हुकूम -'सिसोदिया'-
कोई "शब्द/गौत्र/प्रवर/कुल या वंश" कभी नही था ,
वास्तविक इतिहास का यथासम्भव घटनाक्रम कालखंड के आधार पर संकलन करेंगे तो यह मूलरूप में -"शिशोदिया"- है जो "शिशोदा"(शिशोदा राजवंश राजधानी कुंभलगढ/केलवाड़ा) वर्तमान समय में एक आदर्श ग्राम है के निवासी होने से प्रचालन में है और इस 'वृहद/शक्तिशाली/गौरवमयी' ऐतिहासिक राज्य के अभ्युदय से लेकर युगों-युगों तक इसकी -"एकता-अखंडता-मज़बूती-प्रगाढ़ता"- बनाये रखने हेतु गहलोत क्षत्रिय रजपुत राजवंश के द्वारा समस्त टीम साथी सहयोगियों सहीत अपने पुरोधा/संस्थापक/आदिपुरूष/सूर्यवंशी कुलश्रेष्ठ महान कालजयी शासक/प्रशासक -"बप्पा"- बाप्पा रावल (राजा शिलादित्य-शिलवाहक के पौत्र एवं गुहादित्य के पुत्र) के समय से लेकर देशी राज्यों के समग्र -'अखंड-राजपुताना'- में विलय एवम् इसके पश्चात भी मेवाड़ टिम के रुप में अखंड राजपुताना ,अखंड भारत वर्ष हेतू 'बारम्बार-हर-बार'अपने -'शिश'- अर्थात 'सर/मस्तक' कटवाया,दान दिया,त्याग दिया,न्योछावर कर दिया,प्राणो का बलिदान दिया इसीलिए -"शिश+दिया"-शब्द बना और शिश देने वाले -"शिशोदिया"- कहलाये गये जो आज बहुतायत में हैं हुकूम!!
अब हमारा अनुरोध है कि कृपया भाषायी/शाब्दिक भूल सुधार करके सत्य/शुद्ध/प्रासंगिक शब्द का लेखन,अंकन,प्रकाशन करते हुए पुनः नये सिरे से इतिहास में सिसोदिया शब्द के स्थान पर "शिशोदिया" लिखा जावें!!(प्रमाण हेतु शिशोदिया "कुल/गौत्र/वंश" के माननीय -"रावजी/भाटजी/बढवाजी/चारणजी"- कि लिखित पोथीयां,पांडुलिपियां,तथा संबंधित कालखंड की प्रचलित लोकोक्तियां,लोकगीत,लोकनृत्य,केहणावट,लोक-कथाओं के 'संयुक्त व सर्वमान्य सामुहिक सार-सारांश' का उप्लब्धता के आधार पर निरीक्षण किया जा सकता है!)
✍आपका
□कुँवर हरीसिहँ शिशोदिया-
शिशोदा,मेवाड़(अखंड राजपुताना)
लेखक,समीक्षक,विश्लेषक
सम्पर्क- 9680377030
वाट्सप- 9680759268
-'राष्ट्रीय महासचिव'-
अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना
पंजीकृत राष्ट्रीय क्षत्रिय एवम् सामाजिक संघठन
-'अखंड भारतवर्ष'- हेतू सम्पूर्ण राष्ट्र में'संघठनात्मक रुप'से कार्यरत "राष्ट्रीय स्वयं सेवी सहायतार्थ संघठन" (नाॅन पोलिटिकल)
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□कुँवर हरीसिहँ शिशोदिया- शिशोदा,मेवाड़(अखंड राजपुताना) की टिम4 JUNE 2019 AT 10:20
माननीय और सम्माननीय क्षत्रियत्व 'क्षत्रिय+तत्व'धारक एवं "क्षत्रियोचित गुण-कर्म से युक्त" स्वाभिमानी क्षत्रिय 'रज+पूत' महानुभाव,महोदय हुकूम
सभी महानुभावों से हमारा विशेष अनुरोध है कि कृपया "राष्ट्र-धर्म व कर्म तथा समाज(जिव-जगत/प्राणीमात्र)की
रक्षार्थ,नि:स्वार्थ भाव से नोन पोलिटिकली" हमसे व पूर्णतया क्षत्रिय एवम् सामाजिक संघठन
🚩अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना🚩
से तन,मन,वचन,धन,कर्म से पुर्ण सक्रियता पुर्वक संघठनात्मक रुप से जुड़ने हेतु हमें सम्पर्क कीजियेगा महोदय हुकूम!!
जय मां भवानी
जय श्री एकलिंगनाथाय नमः
कृपा करके बताये कि
अग्नि वंश से 4 शाखाएं निकली
जिसमें 1हे चोहान
और चोहान में से 24 शाखाएं निकली जिसमें 1 है हाडा
तो कृपा करके बताये की हाड़ा वंश की कुलदेवी कोन है!ध धन्यवाद 🙏
i want to more about sikarwar.
दहिया राजपूत राठौर से उतपन्न है कृपया बताएं
Dhanoliya rajput K baare me bataye
Balotiya (bais) rajput jinka gotra bhardwaj hai or suryavans ki shakha hai or inki kul devi kali Mata or isht dev shiv ji hai or inka thikana Udaypur hai
Brother kaushik gotra hai kaushik ki shakha Bijhavaniya khatriya hai Jo kaushik ki shakha kahe jate hai AAP ke dwara nahi likha gaya hai
Adhuri list h ye koli kshatriy kon se vans se h
राम राम सा खम्बा घणी
राजपूत वंशावली में सूर्य वंस की शाखा में 12 प्रमाणित है
राठौड़,बड़गुजर,सिकरवार,सिसोदिया,गहलोद,बालोटिया(बैस),गोड़, कछवाह,जूनेन,रेकबार आदि।
इनमें से अधिकांश राजस्थान प्रदेश से ठिकाना है जिनका महाशक्ति राजपूत वंशावली में पूर्ण ज्ञापन दिया है
चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. गहलोत/सिसोदिया २. राठौड ३. बडगूजर/सिकरवार ४. कछवाह ५. दिक्खित ६. गौर ७. गहरवार ८. डोगरा ९.बल्ला १०.वैस
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.झाला७.सिलार८.वनाफ़र ९.कटोच१०. सोमवंशी
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर२.कनपुरिया३.गर्गवंशी(हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त के वंशज)४.दायमा५.गौतम६.अनवार (राजा जनक के वंशज)७.दोनवार८.दहिया(दधीचि ऋषि के वंशज)९.चौपटखम्ब १०.काकन११.शौनक १२.बिसैन
चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा १७.रूसिया १८.चांदा१९.निकूम २०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा २४.बनकर.
20, 2017 at 8:40 AM
जिस प्रकार अग्नि वंश के चौहान वंश की 24 अलग शाखाएं उसी प्रकार उसी प्रकार अग्निवंश के परमार वंश की 36 अलग गोत्र है सोढा परमार, हरोड परमार ,मकवाना, टॉक, झोरड़, झाला, उदाना, लूवाणा भाटी आदि जो कि सिंध से 700 गाड़ियां लेकर चित्तौड़ और वहां से मांडव पर उसके बाद 330 सौ गाड़ियां का ठिकाना गुजरात और 330 सौ गाड़ियों का ठिकाना मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है जो कि अब सैंधव के नाम से जाने जाते हैं. जिसमें कई गांव को 12 12 गांव की जागीरी प्राप्त है. इसके बारे में अधिक बताएं.
बघेल का नाम क्यों नहीं है
Udana gotra ki Jankari
de
👍👍👍
Dhankre bans ki bansawali bataye
Gajkeshar Rajputo ke bare me detail se bataye jo parihar vansh ki shakha h
कृपा करके मुझे बताओ कि सुर्य वंश कि एक शाखा है बड़गुर्जर ईसकि कुलदेवी मां कोन है
12 गाव के जगीरदार जो टप्पा सुक्लिया रियासत के राजा थे वो सोनगरा चोहान राजपुत थे contact me for more details
Badhwaliya rajput ki kuldevi kaun hai
इसमें नागौद के परिहारों और मैहर के कछवाहों का जिक्र भी नही है दाहिया की भी राठौड़ शाखा लिखी है जबकि दाहिया राजपूत , गोत्र व्यास और ऋषि दधीचि की मूल शाखा से है सूर्यवँशी है ।
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